salam lyrics
तेरे हाथ में हाथ मैं ने दिया है तेरे हाथ है लाज, या ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! निकाला है पहले तो डूबे हुओं को और अब डूबतों को बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन दर दीन-ओ-दुनिया शाद कुन, या ग़ौस-ए-आ'ज़म दस्त-गीर ! भँवर में फँसा है सफ़ीना हमारा बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! बचा, ग़ौस-ए-आ'ज़म ! इमदाद कुन, इमदाद कुन, अज़ बंदे ग़म आज़ाद कुन द
اے شہنشاہِ مدینہ اے شہنشاہِ مدینہ الصلوٰۃ والسّلام زینتِ عرشِ مُعلّیٰ الصلوٰۃ والسّلام رب ہب لی امتی کہتے ہوئے پیدا…
फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो रुख़ से पर्दा अब अपने हटा दो अपना जल्वा इसी में दिखा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं एक मुजरिम सियाह-कार हूँ मैं हर ख़ता का सज़ा-वार हूँ मैं मेरे चारों तरफ़ है अँधेरा रौशनी का तलबग़ार हूँ मैं इक दिया ही समझ कर जला दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा ! मिटा दो जालियों पर निगाहें जमी हैं वज्द में आएगा सारा 'आलम हम पुकारेंगे, या ग़ौस-ए-आ'ज़म वो निकल आएँगे जालियों से और क़दमों में गिर जाएँगे हम फिर कहेंगे कि बिगड़ी बना दो जालियों पर निगाहें जमी हैं फ़ासलों को ख़ुदा-रा !
मैं पानी का प्यासा नहीं हूँ मेरा सर कटाने को दिल चाहता है वो शहर-ए-मोहब्बत जहाँ मुस्तफ़ा हैं वहीं घर बनाने को दिल चाहता है जो देखा है
सिवाए इब्लीस के जहाँ में सभी तो ख़ुशियाँ मना रहे हैं
नबी का लब पर जो ज़िक्र है बे-मिसाल आया, कमाल आया !
सरकार-ए-ग़ौस-ए-आ'ज़म ! नज़र-ए-करम, ख़ुदा-रा मेरा ख़ाली कासा भर दो, मैं फ़क़ीर हूँ तुम्हारा सब का कोई न कोई दुनिया में आसरा है मेरा ब-जुज़ तुम्हारे कोई नहीं सहारा मौला 'अली का सदक़ा, गंज-ए-शकर का सदक़ा मेरी लाज रख लो, या ग़ौस ! मैं मुरीद हूँ तुम्हारा झोली को मेरी भर दो, वर्ना कहेगी दुनिया ऐसे सख़ी का मँगता फिरता है मारा मारा मीराँ बने हैं दूल्हा, महफ़िल सजी हुई है सब औलिया बराती, क्या ख़ूब है नज़ारा ये 'अता-ए-दस्त-गीरी कोई मेरे दिल से पूछे वहीं आ गए मदद को, मैं ने जब जहाँ पुकारा ये अदा-ए-दस्त-गीरी कोई मेरे दिल से पूछे वहीं आ गए मदद को, मैं ने जब जहाँ पुकारा ये तेरा करम है मुर्शिद !
जब बारहवीं पे लाइटों से गलियाँ भी सजती हैं
हम्द-ए-ख़ुदा से तर हैं ज़बानें, कानों में रस घोलती हैं अज़ानें
हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन की तस्वीर सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है हम ने आँखों से देखा नहीं है मगर उन का जल्वा तो सीने में मौजूद है जिस ने ला कर कलाम-ए-इलाही दिया वो मुहम्मद मदीने में मौजूद है फूल खिलते हैं पढ़ पढ़ के सल्ले-'अला झूम कर कह रही है ये बाद-ए-सबा ऐसी ख़ुश्बू चमन के गुलों में कहाँ ! जो नबी के पसीने में मौजूद है हम ने माना कि जन्नत बहुत है हसीं छोड़ कर हम मदीना न जाएँ कहीं यूँ तो जन्नत में सब है मदीना नहीं और जन्नत मदीने में मौजूद है छोड़ना तेरा तयबा गवारा नहीं सारी दुनिया में ऐसा नज़ारा नहीं ऐसा मंज़र ज़माने में देखा नहीं जैसा मंज़र मदीने में मौजूद है ना'त-ख़्वाँ: महमूद जे.
कहाँ जाए, आक़ा ! ये मँगता भला मदीना बुला लीजिए वो रमज़ान तेरा, वो दालान तेरा वो अज्वा, वो ज़मज़म, ये मेहमान तेरा तेरे दर पे इफ़्तार का वो मज़ा मदीना बुला लीजिए जहाँ के सभी ज़र्रे शम्स-ओ-क़मर हैं जहाँ पे अबू-बक्र-ओ-'उस्माँ, 'उमर हैं जहाँ जल्वा-फ़रमा हैं हम्ज़ा चचा मदीना बुला लीजिए हुआ है जहाँ से जहाँ ये मुनव्वर जहाँ आए जिब्रील क़ुरआन ले कर मुझे देखना है वो ग़ार-ए-हिरा मदीना बुला लीजिए जिसे सब हैं कहते नक़ी ख़ाँ का बेटा वो अहमद रज़ा है बरेली में लेटा उसी आ'ला
मीज़ाब-ए-रहमत है मेरे सर पर, अल्लाहु अकबर, अल्लाहु अकबर
जज़्बे से मनाते हैं ये सदियों से मुसलमाँ
دس لاکھ میں کونسی استعمال شدہ گاڑی آپکا انتخاب ہونی چاہیے
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